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रोहड़ू से शिमला पहुंचने में लग रहे दस घंटे
Rampur Updated Tue, 19 Aug 2014 05:30 AM IST
शिमला। सेब से लदे ट्रकों को रोहड़ू से शिमला पहुंचने में दस घंटे लग रहे हैं। ठियोग-खड़ापत्थर-हाटकोटी सड़क की दुर्दशा के कारण पांच घंटे का सफर दुगने समय में तय हो रहा है। सेब के ट्रक रोहड़ू से शिमला दस घंटे में पहुंच रहे हैं, जबकि शिमला से दिल्ली पहुंचने में ट्रकों को नौ घंटे का ही समय लग रहा है।
प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के दावों के बावजूद सेब सीजन में भी ठियोग-खड़ापत्थर-हाटकोटी सड़क की स्थिति नहीं सुधरी है। ठियोग से लेकर हाटकोटी तक सड़क की दशा दयनीय बनी हुई है। सड़क पूरी तरह गड्ढों में तबदील है। बारिश होने पर सड़क कीचड़ से सन जाती है और मौसम साफ होने पर धूल के गुब्बार में गुम हो जाती है। सड़क किनारे नालियां नहीं हैं, जिसके कारण बारिश के दौरान सड़क पानी से लबालब भर जाती है। इस सड़क को लेकर सरकार की उदासीनता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पीक सीजन के दौरान भी सड़क के गड्ढे तक भरने की जहमत नहीं उठाई जा रही है। सड़क की बदहाली का खामियाजा बागवानों को चुकाना पड़ रहा है। सेब ट्रकों के देरी से मंडियों में पहुंचने के कारण सेब की क्वालिटी प्रभावित हो रही है, जिस कारण बागवानों को उपज की सही कीमत नहीं मिल पा रही है।
वन वे ट्रैफिक ने बढ़ाई परेशानी
जुब्बल-कोटखाई वाया खड़ापत्थर मार्ग को वन वे किए जाने से सेब उत्पादकों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। रात आठ बजे के बाद खड़ापत्थर से कोटखाई की ओर ट्रकों की एंट्री बैन होने के कारण सेब एक दिन देरी से मंडी पहुंच रहा है। ट्रक में पेटियां पैक रहने के कारण सेब की क्वालिटी पर असर पड़ने के चलते मार्केट में रेट भी अच्छे नहीं मिल रहे हैं। बागवानों ने खड़ापत्थर से कोटखाई की ओर रात दस बजे तक ट्रकों के रवानगी जारी रखने की मांग की है।
लोकल मंडियों में देरी से पहुंच रहा सेब
सड़क की खस्ताहालत के कारण आसपास की लोकल मंडियों में भी सेब की खेप देरी से पहुंच रही है। रोहड़ू, जुब्बल, खड़ापत्थर और कोटखाई से चलने वाली सेब की गाड़ियों को शिमला, सोलन और चंडीगढ़ की मंडियों तक पहुंचने में अधिक समय लग रहा है। इसके कारण बागवानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
रीडर कनेक्ट
- कम से कम नालियां तो बना दो : राजेश
मौजूदा सेब सीजन के दौरान लोक निर्माण विभाग को ठियोग-खड़ापत्थर-हाटकोटी सड़क के किनारे नालियों का निर्माण करना चाहिए। बारिश के दौरान पानी नालियों से होकर बहेगा, जिससे सड़क की हालत और ज्यादा खराब नहीं होगी। ऐेसे स्थानों पर जहां भूस्खलन का खतरा है विभाग को मशीनरी तैनात करनी चाहिए।
- राजेश कुमार, धार दोची
सेब मंडी तक पहुंचाना बागवानों के लिए अग्निपरीक्षा : सुशील
ठियोग-हाटकोटी सड़क की खराब हालत बागवानों के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गई है। सेब को सही सलामत मंडियों तक पहुंचाना बागवानों के लिए अग्निप रीक्षा से कम नहीं है। खराब सड़क के कारण गाड़ियों को नुकसान हो रहा है। इसके चलते प्रति पेटी भाड़े में भी बढ़ोतरी कर दी गई है।
- सुशील शर्मा, कोटखाई
बागवान, आढ़ती या सेब से जुड़े कारोबारियों की समस्याओं के बारे में अगर आप कोई जानकारी देना चाहें तो अमर उजाला के सेल फोन नंबर 97360-00381 पर संपर्क कर सकते हैं।
रोहड़ू से शिमला पहुंचने में लग रहे दस घंटे