This road will increase strength of Army in Ladakh.
But Zanskar to Leh road also needs to be built to get it's full use.
लद्दाख में सेना की ताकत बढ़ाएगी पदम-दारचा सड़क, कुछ घंटे में पहुंच जाएंगे लेह और कारगिल
Publish Date:Thu, 21 May 2020 02:55 PM (IST)
दारचा-पदम-नीमो सड़क हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी के दारचा को कारगिल जिले के जंस्कार के पदम इलाके को जोड़ेगी।...
विवेक सिंह, जम्मू।
लद्दाख को हिमाचल प्रदेश से सीधे जोड़ने वाली नीमो-पदम-दारचा सड़क केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में भारतीय सेना की ताकत को और बढ़ाएगी। चीन और पाकिस्तान को जवाब देने के लिए भारतीय सेना के जवान हिमाचल के दारचा के रास्ते पदम और फिर नीमो होते हुए कुछ ही घंटों में लेह और कारगिल तक पहुंच जाएंगे। अगले महीने के अंत तक इसके खुलने की पूरी उम्मीद है। 298 किलोमीटर के इस महत्वाकांक्षी सड़क प्रोजेक्ट की निगरानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कर रहे हैं।
कारगिल व लेह तक पहुंचाना होगा आसान: दारचा-पदम-नीमो सड़क हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी के दारचा को कारगिल जिले के जंस्कार के पदम इलाके को जोड़ेगी। दारचा से पदम की दूरी करीब 148 किलोमीटर है। पदम के बाद यह सड़क नीमो के रास्ते लेह मार्ग से जुड़ जाएगी। इस सड़क के बनने से सेना का साजोसामान कारगिल व लेह तक पहुंचाना आसान हो जाएगा। पहले जंस्कार जाने के लिए तीन गुना अधिक सफर करना पड़ता था।
जून के अंत तक खुल जाएगी सड़क: 16500 फीट की ऊंचाई पर कारगिल जिले के जंस्कार को हिमाचल से जोड़ने वाली इस सड़क पर फिलहाल शिकूला पास से बर्फ हटाई जा रही है। उम्मीद है कि जून महीने के अंत में यह सड़क खुल जाएगी। सड़क बनने से हिमाचल प्रदेश के रास्ते सेना को जल्द कारगिल व लेह तक पहुंचने के लिए एक बेहतर विकल्प मिल जाएगा।
इस सड़क को बना रहा है सीमा सुरक्षा बल: उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार यह प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है। ट्रायल भी हो चुका है, लेकिन कुछ हिस्सों में खस्ताहाल मार्ग को पक्का व चौड़ा करने में वक्त लग रहा है। सीमा सड़क संगठन इस सड़क को बना रहा है। उम्मीद है कि शिकूला पास में जमी बर्फ हटने के बाद जल्द सड़क खुल जाएगी। मशीनों से बर्फ हटाई जा रही है।
मनाली से पदम की दूरी 600 किमी कम होगी: पुराने ट्रैकिंग रूट को पहले मोटरेबल रोड और अब उसे अच्छी सड़क बनाने से मनाली की ओर से पदम पहुंचने का सफर करीब 600 किलोमीटर कम हो जाएगा। इस समय मनाली से लेह होते हुए पदम पहुंचने का सफर करीब 900 किलोमीटर का है।
सेना के लिए सुरक्षित है सड़क: 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने हाईवे को निशाना बनाकर भारतीय सेना के लिए मुश्किलें पैदा की थीं। कारगिल में ऊंचाई पर बैठा दुश्मन आसानी से हाईवे पर सेना की मूवमेंट को देखने के साथ उसे निशाना बना सकता था। इसलिए सेना इस क्षेत्र में एक सुरक्षित सड़क की जरूरत महसूस कर रही थी। इसके बाद सेना ने लेह और कारगिल तक पहुंचने के लिए अन्य सड़कों के विकल्प तलाशना शुरू किए। इसके फलस्वरूप दारचा-पदम-नीमो सड़क सामने आई।
जंस्कार व पदम के लोग खुश, पर्यटन के द्वार खुलेंगे: दारचा-पदम-नीमो सड़क को लेकर जंस्कार और पदम के लोग खुश हैं। इससे क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलना तय है। पदम के काउंसिलर स्टेंजिन लापका का कहना है कि यह प्रोजेक्ट भाग्य बदलने वाला है। इस सड़क के बनने से पदम में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। जंस्कार के लोगों को भी फायदा होगा। लोग एक ही दिन में आसानी से मनाली पहुंच सकेंगे। इस सड़क के निर्माण की मांग काफी समय से उठाई जा रही थी।
लद्दाख से सांसद जामयांग सेरिंग नांग्याल ने कहा कि यह सड़क लद्दाख में सीमा की सुरक्षा के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। इसके बनने से लद्दाख में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए भी यह इस सड़क अहम होगी। प्रधानमंत्री द्वारा खुद इस प्रोजेक्ट की निगरानी करने से काम में तेजी आई है।
दारचा-पदम-नीमो सड़क हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी के दारचा को कारगिल जिले के जंस्कार के पदम इलाके को जोड़ेगी।
www.jagran.com