adsatinder
Peace
News of 2017 by Amar Ujala:
1.
रूह कंपाने वाली श्रीखंड यात्रा शुरू, पैर फिसला तो जिंदा रहने की उम्मीद नहीं
ब्यूरो/अमर उजाला, आनी (कुल्लू), Updated Sun, 16 Jul 2017 12:46 PM IST
भारत की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में शुमार श्रीखंड महादेव यात्रा 15 जुलाई से विधिवत रूप से शुरू हुई। यह 28 जुलाई तक चलेगी। 25 जुलाई तक यात्रियों का पंजीकरण होगा। अंतिम जत्था 28 जुलाई को वापस पहुंचेगा। इसके बाद कोई भी यात्री अधिकारिक तौर पर यात्रा पर नहीं जा पाएगा। यात्रा पहले बेसकैंप सिंघगाड़ से शुरू हुई। यहां पहले दिन शनिवार को 535 श्रद्धालुओं का पंजीकरण हुआ। इसमें प्रदेश और देश के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। करीब 18570 फीट ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव तक पहुंचने के लिए करीब 35 किमी पैदल सफर करना पड़ता है।
2.
श्रद्धालुओं को कई छोटे-बडे़ ग्लेशियरों और संकरे तथा पथरीले रास्तों से गुजरना पड़ता है। ग्लेशियरों से गुजरते हुए अगर आपका पैर फिसल गया तो आप जिंदा लौटकर आएंगे इसकी एक फीसदी भी उम्मीद नहीं। हजारों फीट गहरी खाई और ढांकें हैं जिनमें झांकने पर दिन में भी अंधेरा ही दिखता है।फूंक-फूंककर कदम रखना पड़ता है। बीते वर्षों में ऐसे कुछ हादसे हुए हैं जहां लोगों के शव भी बरामद नहीं हो सके। हाल ही में 6 जुलाई को चंडीगढ़ का एक युवक लापता हुआ है जिसका अभी तक कोई सुराग नहीं चल पाया है। कुछ लोग यात्रा शुरू होने से पहले ही श्रीखंड जाना शुरू हो गए थे।
3.
श्रीखंड ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं उपायुक्त कुल्लू यूनुस ने बताया कि यात्रा के लिए चार बेसकैंप बनाए हैं। सिंघगाड में पहले बेसकैंप में श्रद्धालुओं का पंजीकरण और स्वास्थ्य चेकअप होगा। इसके अलावा थाचडू, भीमडवारी में डॉक्टर, पुलिस कर्मचारी मौजूद रहेंगे। अंतिम बेसकैंप पार्वतीबाग में होगा। यहां रेस्क्यू दल और पुलिस कर्मी श्रद्धालुओं की सुविधा को तैनात रहेंगे। क्षेत्रीय रेस्क्यू टीम को भी शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि इस बार पंजीकरण फीस बढ़ाकर सौ रुपये की गई है। यात्री पंजीकृत मेडिकल संस्थान से स्वास्थ्य फिटनेस प्रमाणपत्र ला सकते हैं। यदि कोई बिना पंजीकरण के जाता है तो वह ट्रस्ट की सुविधाओं से वंचित रहेगा। एसडीएम आनी पंकज शर्मा ने बताया कि यात्रियों को प्रशासन की तरफ से हिदायत दी गई है।
4.
यात्रा के दौरान क्या करें श्रद्धालु
1 सभी यात्रियों का पंजीकरण जरूरी है।
2 स्वास्थ्य जांच के बाद फिटनेस यात्री ही यात्रा पर जा सकते हैं। चिकित्सा प्रमाण पत्र यात्री सरकारी चिकित्सालय से ला सकते हैं।
3 श्रीखंड यात्रा साथियों के साथ ही करें।
4 चढ़ाई धीरे-धीरे चढ़ें, सांस फूलने पर वहीं रुक जाएं
5 छाता, बरसाती, गर्म कपड़े, टॉर्च और एक डंडा साथ लाएं
6 प्रशासन की ओर से निर्धारित रास्तों का ही प्रयोग करें।
7 किसी भी प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी समस्या पर नजदीकी बेसकैंप में संपर्क करें।
8 सफाई का विशेष ध्यान रखें।
9 प्रकृति और दुर्लभ जड़ी-बूटियों के संरक्षण में सहयोग करें।
5.
क्या न करें श्रद्धालु
1 रात को श्रीखंड यात्रा न करें।
2 बिना स्वास्थ्य जांच या बिना स्वास्थ्य प्रमाणपत्र यात्रा न करें।
3 साथियों का साथ बिल्कुल न छोडे़ं।
4 जबरदस्ती चढ़ाई चढ़ने का जोखिम न उठाएं, यह घातक हो सकता है।
5 यात्री फिसलने वाला जूता न पहनें।
6 यात्रा के दौरान शॉर्टकट रास्तों का सहारा न लें।
7 नशे का सेवन न करें।
8 खुले में गंदगी न फैलाएं
9 रास्ते में जड़ी-बूटियों से छेड़छाड़ न करें।
6.
35 किमी है पैदल कठिन यात्रा- कुल्लू जिले के निरमंड खंड के तहत श्रीखंड महादेव के लिए रामपुर से निरमंड 17 किमी, निरमंड से बागीपुल तक करीब 18 किमी, बागीपुल से जाओं तक नौ किमी बस योग्य सड़क है। यहां से पैदल यात्रा शुरू होती है। बेसकैंप सिंघगाड़ से आगे श्रीखंड महादेव तक 35 किमी की पैदल यात्रा होती है। यात्रा संकरी और जोखिम भरी है। कई तरह की सुगंधित वायु और ऐतिहासिक सुंदरता के दीदार कर श्रद्धालु यहां बिताए हसीन पलों को हमेशा याद रखते हैं। पार्वतीबाग और नयनसरोबर के बीच आक्सीजन की कमी से यात्रियों को परेशानी रहती है।
7.
भस्मासुर ने की तपस्या- जनश्रुति के अनुसार भस्मासुर राक्षस ने यहां तपस्या की और भगवान शिव से वरदान मांगा था। राक्षस के डर से पार्वती यहां रो पड़ीं, कहते हैं कि उनके अश्रुओं से यहां नयनसरोवर का निर्माण हुआ। इसकी एक-एक धार यहां से 25 किमी नीचे भगवान शिव की गुफा निरमंड के देव ढांक तक गिरती है।
8.
पांडवों ने भीमडवारी में काटा था कुछ समय- एक कथा के अनुसार जब पांडवो को 13 वर्ष का वनवास हुआ तो उन्होंने कुछ समय यहां बिताया। इसके साक्ष्य वहां भीम की ओर से स्थापित बडे़-बडे़ पत्थरों का काटकर रखा जाना है। उन्होंने यहां एक राक्षस को मारा था, जो यहां आने वालों को मार खाता था। राक्षस का लाल रक्त जमीन पर पड़ा तो वह जगह लाल हो गई। आज भी वहां लाल रंग मौजूद है। भीमडवार पहुंचने के बाद रात को यहां जड़ी-बूटियां चमक उठती हैं। भक्तों का दावा है कि इनमें से कई मृत संजीवनी बूटी भी मौजूद है।
9.
कैसे हुई श्रीखंड महादेव की रचना- दंत कथा के अनुसार प्रथम पूजन के बारे में देवताओं के मध्य झगड़ा हुआ तो यह निश्चय हुआ कि जो संपूर्ण धरती की परिक्रमा कर सबसे पहले लौटेगा, वह प्रथम पूज्य होगा। सभी देवता परिक्रमा पर निकले। गणपति ने माता पार्वती से उपाय पूछा तो माता के कहे अनुसार उन्होंने एक पत्थर पर भगवान शिव का नाम लिखा और पत्थर की परिक्रमा कर शंख ध्वनि की।
10.
शंख ध्वनि की आवाज पूर्ण सृष्टि में गूंज उठी। उस समय भगवान शिव आगे और स्वामी कार्तिकेय इस नयनगिर पर्वत पर चल रहे थे। शंख ध्वनि की आवाज से दोनों यहां शैल रूप में विराजमान हो गए। उन्हें तलाश करने सप्तर्षि भी आए। यहां आकर सप्तर्षि भी चोटियों के रूप में विराजमान हो गए। श्रीखंड यात्रा के दौरान सप्तऋषि की पहाड़ियां, स्वामी कार्तिकेय और भगवान श्रीखंड के दर्शन होते हैं।
रूह कंपाने वाली श्रीखंड यात्रा शुरू, पैर फिसला तो जिंदा रहने की उम्मीद नहीं- Amarujala
1.
रूह कंपाने वाली श्रीखंड यात्रा शुरू, पैर फिसला तो जिंदा रहने की उम्मीद नहीं
ब्यूरो/अमर उजाला, आनी (कुल्लू), Updated Sun, 16 Jul 2017 12:46 PM IST
भारत की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में शुमार श्रीखंड महादेव यात्रा 15 जुलाई से विधिवत रूप से शुरू हुई। यह 28 जुलाई तक चलेगी। 25 जुलाई तक यात्रियों का पंजीकरण होगा। अंतिम जत्था 28 जुलाई को वापस पहुंचेगा। इसके बाद कोई भी यात्री अधिकारिक तौर पर यात्रा पर नहीं जा पाएगा। यात्रा पहले बेसकैंप सिंघगाड़ से शुरू हुई। यहां पहले दिन शनिवार को 535 श्रद्धालुओं का पंजीकरण हुआ। इसमें प्रदेश और देश के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। करीब 18570 फीट ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव तक पहुंचने के लिए करीब 35 किमी पैदल सफर करना पड़ता है।
2.
श्रद्धालुओं को कई छोटे-बडे़ ग्लेशियरों और संकरे तथा पथरीले रास्तों से गुजरना पड़ता है। ग्लेशियरों से गुजरते हुए अगर आपका पैर फिसल गया तो आप जिंदा लौटकर आएंगे इसकी एक फीसदी भी उम्मीद नहीं। हजारों फीट गहरी खाई और ढांकें हैं जिनमें झांकने पर दिन में भी अंधेरा ही दिखता है।फूंक-फूंककर कदम रखना पड़ता है। बीते वर्षों में ऐसे कुछ हादसे हुए हैं जहां लोगों के शव भी बरामद नहीं हो सके। हाल ही में 6 जुलाई को चंडीगढ़ का एक युवक लापता हुआ है जिसका अभी तक कोई सुराग नहीं चल पाया है। कुछ लोग यात्रा शुरू होने से पहले ही श्रीखंड जाना शुरू हो गए थे।
3.
श्रीखंड ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं उपायुक्त कुल्लू यूनुस ने बताया कि यात्रा के लिए चार बेसकैंप बनाए हैं। सिंघगाड में पहले बेसकैंप में श्रद्धालुओं का पंजीकरण और स्वास्थ्य चेकअप होगा। इसके अलावा थाचडू, भीमडवारी में डॉक्टर, पुलिस कर्मचारी मौजूद रहेंगे। अंतिम बेसकैंप पार्वतीबाग में होगा। यहां रेस्क्यू दल और पुलिस कर्मी श्रद्धालुओं की सुविधा को तैनात रहेंगे। क्षेत्रीय रेस्क्यू टीम को भी शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि इस बार पंजीकरण फीस बढ़ाकर सौ रुपये की गई है। यात्री पंजीकृत मेडिकल संस्थान से स्वास्थ्य फिटनेस प्रमाणपत्र ला सकते हैं। यदि कोई बिना पंजीकरण के जाता है तो वह ट्रस्ट की सुविधाओं से वंचित रहेगा। एसडीएम आनी पंकज शर्मा ने बताया कि यात्रियों को प्रशासन की तरफ से हिदायत दी गई है।
4.
यात्रा के दौरान क्या करें श्रद्धालु
1 सभी यात्रियों का पंजीकरण जरूरी है।
2 स्वास्थ्य जांच के बाद फिटनेस यात्री ही यात्रा पर जा सकते हैं। चिकित्सा प्रमाण पत्र यात्री सरकारी चिकित्सालय से ला सकते हैं।
3 श्रीखंड यात्रा साथियों के साथ ही करें।
4 चढ़ाई धीरे-धीरे चढ़ें, सांस फूलने पर वहीं रुक जाएं
5 छाता, बरसाती, गर्म कपड़े, टॉर्च और एक डंडा साथ लाएं
6 प्रशासन की ओर से निर्धारित रास्तों का ही प्रयोग करें।
7 किसी भी प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी समस्या पर नजदीकी बेसकैंप में संपर्क करें।
8 सफाई का विशेष ध्यान रखें।
9 प्रकृति और दुर्लभ जड़ी-बूटियों के संरक्षण में सहयोग करें।
5.
क्या न करें श्रद्धालु
1 रात को श्रीखंड यात्रा न करें।
2 बिना स्वास्थ्य जांच या बिना स्वास्थ्य प्रमाणपत्र यात्रा न करें।
3 साथियों का साथ बिल्कुल न छोडे़ं।
4 जबरदस्ती चढ़ाई चढ़ने का जोखिम न उठाएं, यह घातक हो सकता है।
5 यात्री फिसलने वाला जूता न पहनें।
6 यात्रा के दौरान शॉर्टकट रास्तों का सहारा न लें।
7 नशे का सेवन न करें।
8 खुले में गंदगी न फैलाएं
9 रास्ते में जड़ी-बूटियों से छेड़छाड़ न करें।
6.
35 किमी है पैदल कठिन यात्रा- कुल्लू जिले के निरमंड खंड के तहत श्रीखंड महादेव के लिए रामपुर से निरमंड 17 किमी, निरमंड से बागीपुल तक करीब 18 किमी, बागीपुल से जाओं तक नौ किमी बस योग्य सड़क है। यहां से पैदल यात्रा शुरू होती है। बेसकैंप सिंघगाड़ से आगे श्रीखंड महादेव तक 35 किमी की पैदल यात्रा होती है। यात्रा संकरी और जोखिम भरी है। कई तरह की सुगंधित वायु और ऐतिहासिक सुंदरता के दीदार कर श्रद्धालु यहां बिताए हसीन पलों को हमेशा याद रखते हैं। पार्वतीबाग और नयनसरोबर के बीच आक्सीजन की कमी से यात्रियों को परेशानी रहती है।
7.
भस्मासुर ने की तपस्या- जनश्रुति के अनुसार भस्मासुर राक्षस ने यहां तपस्या की और भगवान शिव से वरदान मांगा था। राक्षस के डर से पार्वती यहां रो पड़ीं, कहते हैं कि उनके अश्रुओं से यहां नयनसरोवर का निर्माण हुआ। इसकी एक-एक धार यहां से 25 किमी नीचे भगवान शिव की गुफा निरमंड के देव ढांक तक गिरती है।
8.
पांडवों ने भीमडवारी में काटा था कुछ समय- एक कथा के अनुसार जब पांडवो को 13 वर्ष का वनवास हुआ तो उन्होंने कुछ समय यहां बिताया। इसके साक्ष्य वहां भीम की ओर से स्थापित बडे़-बडे़ पत्थरों का काटकर रखा जाना है। उन्होंने यहां एक राक्षस को मारा था, जो यहां आने वालों को मार खाता था। राक्षस का लाल रक्त जमीन पर पड़ा तो वह जगह लाल हो गई। आज भी वहां लाल रंग मौजूद है। भीमडवार पहुंचने के बाद रात को यहां जड़ी-बूटियां चमक उठती हैं। भक्तों का दावा है कि इनमें से कई मृत संजीवनी बूटी भी मौजूद है।
9.
कैसे हुई श्रीखंड महादेव की रचना- दंत कथा के अनुसार प्रथम पूजन के बारे में देवताओं के मध्य झगड़ा हुआ तो यह निश्चय हुआ कि जो संपूर्ण धरती की परिक्रमा कर सबसे पहले लौटेगा, वह प्रथम पूज्य होगा। सभी देवता परिक्रमा पर निकले। गणपति ने माता पार्वती से उपाय पूछा तो माता के कहे अनुसार उन्होंने एक पत्थर पर भगवान शिव का नाम लिखा और पत्थर की परिक्रमा कर शंख ध्वनि की।
10.
शंख ध्वनि की आवाज पूर्ण सृष्टि में गूंज उठी। उस समय भगवान शिव आगे और स्वामी कार्तिकेय इस नयनगिर पर्वत पर चल रहे थे। शंख ध्वनि की आवाज से दोनों यहां शैल रूप में विराजमान हो गए। उन्हें तलाश करने सप्तर्षि भी आए। यहां आकर सप्तर्षि भी चोटियों के रूप में विराजमान हो गए। श्रीखंड यात्रा के दौरान सप्तऋषि की पहाड़ियां, स्वामी कार्तिकेय और भगवान श्रीखंड के दर्शन होते हैं।
रूह कंपाने वाली श्रीखंड यात्रा शुरू, पैर फिसला तो जिंदा रहने की उम्मीद नहीं- Amarujala