Floods In Haryana And Delhi, Know About Hathni Kund Barrage, Yamuna River
दिल्ली में हथिनीकुंड बैराज के नाम से क्यों है खौफ, यहां का पानी कैसे मचाता है तबाही, पूरी कहानी
अजय कुमार, अमर उजाला, चंडीगढ़ Updated Wed, 21 Aug 2019 01:30 AM IST
हथिनीकुंड बैराज - फोटो : अमर उजाला
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इन दिनों बाढ़ जैसे हालात हैं। इसकी वजह हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया लाखों क्यूसेक पानी है। हर साल बरसात के मौसम में यमुना उफान पर होती हैं। दिल्ली में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है और चर्चा में रहता है दिल्ली से 200 किलोमीटर पर स्थित हथिनीकुंड बैराज। आइए जानते हैं हथिनीकुंड बैराज के बारे में। कब निर्माण हुआ, क्या उद्देश्य थे और कैसे पड़ा हथिनीकुंड नाम।
हथिनीकुंड बैराज मुख्य रूप से हरियाणा के यमुनानगर जिले में है, लेकिन इसकी सीमाएं कई राज्यों से लगती हैं। इसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का कुछ हिस्सा शामिल है। बैराज का निर्माण 1996 से 1999 के बीच सिंचाई के उद्देश्य से किया गया था। हालांकि, 2002 तक धीमी कार्य प्रगति के चलते बैराज शुरू नहीं हो पाया था।
हथिनीकुंड बैराज - फोटो : अमर उजाला
हथिनीकुंड बैराज से पहले यमुना पर तजेवाला हेड था। जिसका निर्माण 1873 में किया गया था। हालांकि यह अब सेवा में नहीं है। तजेवाला हेड से ही यमुना के पानी का बंटवारा होता था। अब यमुना के पानी का बंटवारा हथिनीकुंड बैराज से होता है। लगभग 60 प्रतिशत दिल्ली के पानी की आपूर्ति हरियाणा ही करता है। बैराज से तजेवाला हेड की दूरी लगभग 3-4 किमी है।
बैराज से निकली दो नहरें
यमुना की मुख्य धारा के अलावा हथिनी कुंड बैराज से दो नहरे निकली हैं। जिन्हें पश्चिमी यमुना नहर और पूर्वी यमुना नहर के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा बैराज में एक छोटा जलाशय भी है। यहां जलीय पक्षी की 31 प्रजातियां पाईं जाती हैं। बैराज 360 मीटर लंबा है और इसमें दस प्लड गेट हैं। उस वक्त इसकी निर्माण लागत लगभग 168 करोड़ रुपये आई थी।
200 किमी की दूरी, 72 घंटे का सफर फिर दिल्ली पहुंचता है पानी
हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से यमुना नदी में पानी छोड़े जाने के लगभग 72 घंटे बाद पानी दिल्ली में दाखिल होता है। इस दौरान यह लगभाग 200 किमी का सफर तय करता है। बैराज से दिल्ली के बीच मुख्य रूप से हरियाणा के यमुनानगर, करनाल, पानीपत और सोनीपत शहर एक तरफ पड़ते हैं और वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, शामली, बागपत और मेरठ का कुछ हिस्सा पड़ता। तब जाकर यमुना दिल्ली में प्रवेश करती है।
हथिनीकुंड बैराज - फोटो : अमर उजाला
क्यों हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा जाता है पानी ?
हथिनीकुंड बैराज से यमुना के पानी की मात्रा को नियंत्रित किया जाता है। नदी के प्रवाह और जलस्तर को नियंत्रित कर उसे सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जाता है। हालांकि बारिश के मौसम में पानी की अधिक मात्रा को देखते हुए यह पानी छोड़ा जाता है ताकी ओवरफ्लो न हो। इसकी एक वजह अधिक स्टोरेज की जगह न होना भी बताया जाता है।
कैसे पड़ा हथिनीकुंड नाम
बैराज का नाम हथिनीकुंड कैसे पड़ा इसके पीछे एक कहानी बताई जाती है। कहा जाता कि जिस स्थान पर यह बैराज स्थित है उस जगह का नाम ही हथिनीकुंड था। यह जगह पहाड़ों से घिरी और कुंड के आकार की थी।
दिल्ली में क्यों आती है आफत
इस साल हथिनीकुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इसके बाद से दिल्ली में बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। दरअसल हिमाचल प्रदेश और पहाड़ी क्षेत्रों में जब अधिक बारिश होती है तो बैराज का जलस्तर तेजी से बढ़ता है।
जलस्तर को नियंत्रित करने के लिए अधिक पानी छोड़ा जाता है। जिससे यमुना के तट पर बसे दिल्ली समेत कई शहरों में बाढ़ आ जाती है। इसके पीछे एक वजह यह भी बताई जाती है कि दिल्ली में यमुना नदी में काफी मात्रा में गाद जमा है। इस सिल्ट की सफाई न होने से नदी की धारा छिछली हो गई है। अधिक पानी आने पर यह रिहायशी इलाकों में घुसना शुरू कर देता है।
147 साल का रिकॉर्ड टूटा- (तजेवाला हेड के निर्माण से अबतक)
03 सितंबर 1978 में 705239 क्यूसेक पानी यमुना नदी में छोड़ा गया था।
20 सितंबर 2010 में 744507 क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
16 अगस्त 2011 में 641462 क्सूसेक पानी छोड़ा गया।
17 जून 2013 में 806464 क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
08 जुलाई 2018 में 605949 क्यसेक पानी छोड़ा गया।
18 अगस्त 2019 में 8028076 क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
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